-:: माना अब हम साथ नहीं ::- -: ADITYA MUDGAL आज सुन रहा था किसी के लिखे हुए शब्द, न जाने क्यु वो आपकी याद दिला देते हैं । खुद तो कुछ लिख नहीं सकता तेरे बिना चल अब आ भी जा मेरे इंतजार के सिवा ।ये तो कुछ शब्द है जो किसी ने लिखे हैं किसी के लिये मेरा तो हर वक्त ऐसा हो जो चले ओर जिए तो तेरे लिये। @ yogendrabihola -:माना के अब हम साथ नहीं:- माना की अब हम साथ नहीं मगर दिल से एक बात कहूँ, कोई बात नहीं । लेकिन आज भी हर रात सोने से पहले तेरी यादों के समुन्दर में एक लम्बी सी सास लेकर गोता मारने चला जाता हु ओर उन पुराने लमहों में से किसी पल के मोती को निकाल लाता हूँ फिर उसे आँखे बंद करके निहारता हूँ जब तक नीन्द नहीं आ जाती। ओर अगली सुबह फिर यहीं इंतजार करता हूँ की कब ये दिन ढले ओर रात हो कब फिर तुझे