-:: माना अब हम साथ नहीं ::-
-:ADITYA MUDGAL
आज सुन रहा था किसी के लिखे हुए शब्द,
न जाने क्यु वो आपकी याद दिला देते हैं ।
खुद तो कुछ लिख नहीं सकता तेरे बिना
चल अब आ भी जा मेरे इंतजार के सिवा ।ये तो कुछ शब्द है जो किसी ने लिखे हैं किसी के लिये
मेरा तो हर वक्त ऐसा हो जो चले ओर जिए तो तेरे लिये। @yogendrabihola
-:माना के अब हम साथ नहीं:-
लोग कोसते हैं अपनी महोब्बत को
की उसने उनको तबाह कर दिया
मगर मैं तो तेरा शुक्रगुज़ार हूँ
जितना बनता था तुने अपना फर्ज अदा किया
ओर वैसे भी रिस्तो की उम्र नहीं देखीं जातीं
देखी जाती हैं तो सिर्फ एक बात की
उन रिस्तो में हम कितना जियें
ओर सच कहूँ तो आज समझ आता है
मेने उस वक्त मैं मेरी पूरी एक जिन्दगी जी ली
जिनकी यादें अब अकेले रहने के लिए काफी हैं (नहीं)।
माना की मेरे हाथ में तेरे हाथ नहीं
मगर दिल से एक बात कहूँ,
कोई बात नहीं ।
सायद अब मेरी आवाज तुज तक पहुंचती नहीं
सायद तेरी निगाहें भी मुझे खोजती नहीँ
सायद ये कहानी अनजाम के परवान चढ़ चुकी है
क्युकी सायद तु मुझे भुल(नही भी) कर आगे बढ़ चुकी है
मगर बेफिक्र हो कर (ना) जा
क्युकी मामला ये तेरे सुकून का है
मेरे जिस्म की परवाह न कर
मेरा रिस्ता तो तुझसे रुह(आत्मा) का है।
माना की अब मेरे लिए
तेरे वो जज़्बात नहीं
मगर दिल से कह रहा हूँ मेरी जान
कोई बात नहीं ।
लेकिन आज भी तेरे लिए
मेरे दिल में एक शेर गूंजता है
ओर हमेशा गूंजता रहेगा ।
"सब अपनी जगह है जो सिकवे है या गीले है "
" आना हैं तो लोट आ रास्ते अब भी खुले है। "
Sources:- https://bit.ly/2DaHdg0
https://www.youtube.com/channel/UCxNYd0UrN0B_rEaf-PQsBbg
Podcast you tube.
-:ADITYA MUDGAL
आज सुन रहा था किसी के लिखे हुए शब्द,
न जाने क्यु वो आपकी याद दिला देते हैं ।
खुद तो कुछ लिख नहीं सकता तेरे बिना
चल अब आ भी जा मेरे इंतजार के सिवा ।ये तो कुछ शब्द है जो किसी ने लिखे हैं किसी के लिये
मेरा तो हर वक्त ऐसा हो जो चले ओर जिए तो तेरे लिये। @yogendrabihola
-:माना के अब हम साथ नहीं:-
माना की अब हम साथ नहीं
मगर दिल से एक बात कहूँ,
कोई बात नहीं ।
लेकिन आज भी हर रात सोने से पहले
तेरी यादों के समुन्दर में
एक लम्बी सी सास लेकर गोता मारने चला जाता हु
ओर उन पुराने लमहों में से
किसी पल के मोती को निकाल लाता हूँ
फिर उसे आँखे बंद करके निहारता हूँ
जब तक नीन्द नहीं आ जाती।
ओर अगली सुबह फिर यहीं
इंतजार करता हूँ की
कब ये दिन ढले ओर रात हो
कब फिर तुझे आवाज लगाऊ
ओर कब तुझे बात हो।
माना की अब वो रात नहीं
मगर दिल से एक बात कहूँ,
कोई बात नहीं ।लोग कोसते हैं अपनी महोब्बत को
की उसने उनको तबाह कर दिया
मगर मैं तो तेरा शुक्रगुज़ार हूँ
जितना बनता था तुने अपना फर्ज अदा किया
ओर वैसे भी रिस्तो की उम्र नहीं देखीं जातीं
देखी जाती हैं तो सिर्फ एक बात की
उन रिस्तो में हम कितना जियें
ओर सच कहूँ तो आज समझ आता है
मेने उस वक्त मैं मेरी पूरी एक जिन्दगी जी ली
जिनकी यादें अब अकेले रहने के लिए काफी हैं (नहीं)।
माना की मेरे हाथ में तेरे हाथ नहीं
मगर दिल से एक बात कहूँ,
कोई बात नहीं ।
सायद अब मेरी आवाज तुज तक पहुंचती नहीं
सायद तेरी निगाहें भी मुझे खोजती नहीँ
सायद ये कहानी अनजाम के परवान चढ़ चुकी है
क्युकी सायद तु मुझे भुल(नही भी) कर आगे बढ़ चुकी है
मगर बेफिक्र हो कर (ना) जा
क्युकी मामला ये तेरे सुकून का है
मेरे जिस्म की परवाह न कर
मेरा रिस्ता तो तुझसे रुह(आत्मा) का है।
माना की अब मेरे लिए
तेरे वो जज़्बात नहीं
मगर दिल से कह रहा हूँ मेरी जान
कोई बात नहीं ।
लेकिन आज भी तेरे लिए
मेरे दिल में एक शेर गूंजता है
ओर हमेशा गूंजता रहेगा ।
"सब अपनी जगह है जो सिकवे है या गीले है "
" आना हैं तो लोट आ रास्ते अब भी खुले है। "
Sources:- https://bit.ly/2DaHdg0
https://www.youtube.com/channel/UCxNYd0UrN0B_rEaf-PQsBbg
Podcast you tube.
Wonderful
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